Friday, 4 August 2017

रूप गोस्वामी पाद 1

श्रील रूप गोस्वामी पाद जी आज तिरोभाव दिवस है

1⃣श्रील रूप गोस्वामी पाद
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श्रील रूप गोस्वामी जी  श्री रूप मंजरी जी के अवतार है। इनका सेवित विग्रह श्री राधा गोविन्द देव जी है ।जो वर्तमान में जयपुर में सेवित है।

🙏🏼इनकी समाधी श्री राधा दामोदर मंदिर में है ये भक्ति के सर्बोत्तम आचार्य है।

🏕इनकी भजन कुटीर वृन्दावन में हैं और टेर क़दम नन्दगाँव में है।

📚श्रील रूप गोस्वामी जी द्वारा लिखे दिव्य ग्रन्थ-

श्रील रूप गोस्वामी के ग्रंथ तो अथाह सागर है ।
एक ग्रंथ नहीं जगत के जितने भी युगल प्रेम रस
विशुद्ध प्रेम की बात बताते है वो सब श्रील रूप जी के ग्रंथो के अंश है।

📙इनके प्रमुख ग्रंथ है
" श्री उज्जवल नीलमणि" - इसमें सखीयो मंजरीयो सहित युगल प्रेम का रहस्य है।
जैसे भाव ,स्वभाव ,यूथ, श्री युगल गुण ,यह सब इस ग्रंथ में इन्होंने वर्णित किया।
यह बडी ही उत्तम कृति है श्री रूप की।

📕" श्री भक्ति रसमृत सिंधु" - उसमें श्री कृष्ण का चौंसठ गुण, भक्ति भाव आदि बताए गए है

📒इसके अलावा ,
श्री दानकेलीचिंतामणि, दान केली कोमदी, श्री निकुंज रहस्य, श्री मंजरी स्वरूप निरूपण, श्री सत्वमाला, उपदेशमृतसिंधु, ललित माधव, विदग्ध माधव , श्री राधा कृष्ण गनोउपदेश दीपिका।

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श्रील रूप गोस्वामी के जीवन का संक्षिप्त परिचय -

🌅श्री रूप गोस्वामी जी जन्म 1489 में हुआ

📿 इनके दीक्षा गुरु श्री मान  विद्या वाचस्पति मदोदय है

🛐 श्री चैतन्य महाप्रभु जी इनकी प्रथम भेंट 1514 में रामकली ग्राम हुई तब उनकी आयु 25 बर्ष थी।

🏞प्रयाग में श्री मन चैतन्य महाप्रभु जी उनको दिव्य प्रेम भक्ति की शिक्षा दी at the age 27

⏩ श्रील रूप गोस्वामी पाद वृन्दावन आये at the age 28।

🙏🏼श्री गोविन्द देव जी विग्रह प्रकट किया गोमा टीला वृन्दावन में माघ शुक्ल पंचमी को at the age of 46 in year 1557

📕श्री भक्ति रसामृत सिंधु पुस्तक पूर्ण की  1567 at the age of 56।

🌈अप्रकट श्रावण शुक्ल द्वादसी 1564   ,27 day after disappearence of श्रील सनातन गोस्वामी जी at श्री राधा दामोदर मंदिर in वृन्दावन At the age of 75।

🏵 श्रील रूप गोस्वामी पाद 22 साल गृहस्थ में और 53 साल वृज में रहे। 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏

*रूप गोस्वामी की ‘चाटु पुष्पाञ्जलि’ के इस श्लोक से यह कितना स्पष्ट है-*

“करुणां महुरर्थयेपरं तव वृन्दावन चक्रवर्त्तिनी।

अपिकेशिरिपोर्यया भवेत्स चाटु प्रार्थनभाजनं॥*

-हे वृन्दावन चक्रवर्तिनि! ‘मैं बार-बार तुम्हारी ऐसी कृपा की प्रार्थना करता हूँ, जिससे मैं तुम्हारी प्रिय सखी बनूं। तुम जब मानिनी हो तो कृष्ण तुम से मिलने के लिए मेरी चाटुकारी करें और मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें तुम्हारे पास ले आऊँ।

*श्री रूप गोस्वामी पाद की  अभिलाषा*

रूप गोस्वामी ने ' *कार्पण्य पञ्जिका' स्त्रोत* में अभिलाषा व्यक्त की है कि *जब राधा-कृष्ण विरह-व्यग्र हो वृन्दावन में परस्पर अन्वेषण करते हों, उस समय वे मञ्जरी रूप से उनका मिलन करा, उनसे हार पदकादि पारितोषिक रूप में प्राप्त कर धन्य हों, वे विलास के समय उनके निकट रहकर उनकी विभिन्न प्रकार से सेवा करें, ताम्बूल सजाकर अपने हाथ से उनके मुख में अर्पित करें, अनुंग-क्रीड़ा में उनके केश विखर जाने पर उन्हें संवार दे, उनकी वेश-भूषा फिर से कर दें और उनके तिलक शून्य ललाट पर फिर से तिलक-रचना कर दें।*

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' *उत्कलिकावल्लरी'* में उन्होंने अभिलाषा व्यक्त की है कि

*वे अपने केश-पाश खोलकर, राधा के दोनों चरणों को पोंछ देने का सौभाग्य प्राप्त कर सकें।, निकुञ्ज में विलास के उपयोगी पुष्प शय्या तैयार कर सकें, विलास के समय दोनों को मधुपान करा सकें और विलास के पश्चात उनका श्रम दूर करने के लिये चामर से बीजन कर सकें*,।

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' *श्रीगान्धर्व्वासं प्रार्थनाष्टकं*' नामक स्तव में उन्होंने अभिलाषा व्यक्ति की है कि

*जब निकुञ्ज में नानाविध पुष्प रचित शय्या पर शयन करते हुए राधा-कृष्ण मधुर नर्म विलास करते हों, तो वे दोनों की चरण-सेवा करें।*

जय हो🌹🌹🌹🙏

श्री राधा चरण रेणू

¸.•*""*•.¸
Զเधे Զเधे ....... शेरु मुजंiल
                                 
( Shreeji Gau Sewa Samiti )

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